Bauddh Dharm, Bauddh Dharm ke Prachaarak, Bauddh ka janm
बौद्ध धर्म, बौद्ध धर्म के प्रचारक, बौद्ध का जन्म ( bauddh dharm, bauddh dharm ke prachaarak, bauddh ka janm )
बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध थे जो वर्धमान महावीर के समकालीन थे | गौतमबुद्ध का जन्म 567 ई पूर्व में कपिलवस्तु समीप लुंबिनी वन में हुआ था उनके पिता n शुद्धोधन और माता का नाम महामाया था बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था जन्म के केवल एक सप्ताह बाद ही मां की मृत्यु हो जाने के कारण लालन पालन विमाता गोमती ने किया इसी से इन्हे गौतम भी कहा जाता है इनकी पत्नी का नाम यशोधरा पर पुत्र का नाम राहुल था |गौतम बुद्ध बचपन से ही एकांतप्रिय गंभीर व मनन शील थे और सांसारिक कार्यों में रुचि नहीं लेते थे | सत्य की खोज हेतू बुद्ध ने 19 वर्ष की आयु में गृह तियाग कर दिया सत्य एवम् ज्ञान प्राप्ति के लिए कढोर तपस्या
की कहा जाता है कि सात दिन और रात अखंड समधि में स्थिर रहे आठवें दिन वैशाख पूर्णिमा को उन्हें ज्ञान(बोध) प्राप्त हुआ गौतम बुध को ज्ञान 35 वर्ष की आयु में प्राप्त हुआ उसके बाद से वे बुध कहलाए | गया मैं उरूवेला नामका स्थान पर जिस पीपल वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ उसे "बोध वृक्ष" तथा पवित्र स्थान को ' बोध गया ' कहते है ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध सारनाथ आए जहां उन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया (पाली भाषा में) 45 वर्ष निरंतर धर्म का प्रचार करते हुए 80 वर्ष की आयु में उनकी कुशीनगर में मृत्यु हो गईं
बौद्ध धर्म के उदय के कारण ---
1. हिन्दू धर्म की जटिलता ---
हिन्दू धर्म बहुत ही जटिल हो गया था| उपनिषदों के गूढ़ दर्शन प्राचीनकाल की संस्कृति भाषा में लिखे गए थे जिसे आम जनता नहीं समझ पाती थी जनता एक सरल धर्म की खोज में थी
2. यज्ञो तथा कर्मकांडो की बहुलता ---
हिन्दू धर्म में प्रचिलित दीर्घकालीन यज्ञो तथा जटिल कर्मकांडो से जनता तंग आ गई थी | अनेक समाज सुधारको ने इन आडंबरों तथा कर्मकांडो के विरूद्ध आवाज उठाई
3. ब्राह्मणों में भ्रषटाचार--
ब्राहाणो के चरित्र गिर गए थे वे लालची हो गए थे फिर अधिकांस ब्रह्मणो को धार्मिक ग्रथो का वास्तविक ज्ञान भी नहीं था पढे लिखे क्षत्रीय इसे सहन नहीं कर सके और उन्होंने नये धार्मिक आंदोलन चलाए प्रणाम स्वरूप बौद्ध धर्म और जैन धर्म आदि का उदय हुआ
4. जाति प्रथा तथा अस्पृश्यता---
उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगो (शूद्रों) को घृणा की दृष्टि से देखते थे लोगो के लिए इसे व्यवहार असहनीय होता गया तथा वे ऐसे धर्म की तलाश करने लगे जिसमें ऊंच नीच का कोई भेदभाव न हो
सामाजिक तथा धार्मिक दशाओं ने बौद्ध धर्म के उदय के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर दिया ऐसे अंधकारमय वातावरण में महात्मा बुद्ध ने लोगों की आवश्यकता के अनुरूप उनके समुख़ सरल धर्म प्रस्तुत किया |
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